कहीं पर पत्थर, कहीं पर झाढ़ , कहीं पर इमारते, कहीं पर ख़ाक और इन सब के ऊपर खुल्ला आसमान. बिलकुल नीला. और एकदम साफ़. सब को समेटता हुआ अम्बर इन पथरीली राहों को कहीं धूप और कहीं छांव देता है.
ज़िन्दगी तो क्षण- भंगुर है. आज है, कल नहीं. इस छोटी सो ज़िन्दगी में लोग भीड़ में खो से जाते हैं और जब खुद नहीं भी खोते तो अपनों को ढूंढ नहीं पाते!
क्या आज को नज़र अंदाज़ कर, कल पर कदम जमाया जा सकता है? क्या बीते हुए कल के निशाँ अपनी ज़िन्दगी की राह से पूरी तरह मिटाए जा सकते हैं? क्या आने वाला कल इन्ही पथरीली राहों पर चलेगा? या... हुम, तुम, यह, और कोई और भी अपने अहम् को त्याग कर इन पत्थरों में भी फूल खिला सकेंगे?
क्या जीवन इन पत्थरों और काँटों के बिन भी इतना ही सार्थक हो पायेगा?
इन पत्थरों का, इन राहों का, सब का एक महत्त्व है हमारे जीवन में. इन सब को एक समान गले लगाना ही इस जीवन की सब से बड़ी शिक्षा है.
जब चलना ही इन राहों पर तो गिरने से क्या डरना?
ज़िन्दगी तो क्षण- भंगुर है. आज है, कल नहीं. इस छोटी सो ज़िन्दगी में लोग भीड़ में खो से जाते हैं और जब खुद नहीं भी खोते तो अपनों को ढूंढ नहीं पाते!
क्या आज को नज़र अंदाज़ कर, कल पर कदम जमाया जा सकता है? क्या बीते हुए कल के निशाँ अपनी ज़िन्दगी की राह से पूरी तरह मिटाए जा सकते हैं? क्या आने वाला कल इन्ही पथरीली राहों पर चलेगा? या... हुम, तुम, यह, और कोई और भी अपने अहम् को त्याग कर इन पत्थरों में भी फूल खिला सकेंगे?
क्या जीवन इन पत्थरों और काँटों के बिन भी इतना ही सार्थक हो पायेगा?
इन पत्थरों का, इन राहों का, सब का एक महत्त्व है हमारे जीवन में. इन सब को एक समान गले लगाना ही इस जीवन की सब से बड़ी शिक्षा है.
जब चलना ही इन राहों पर तो गिरने से क्या डरना?
4 comments:
nicely written
saw your photostream on flickr too, nice to see a doctor indulge in a creative outlet
wud like to contact you for an urgent consultation for my son.
did try your number but cudnt get thru
can you please drop me a line or a sms?
9811788444
when i started to read it, i assumed u were talking about the 'garden of 5 senses' at saidul-ajaib near saket (my mommy used to work there at one point).... however after reading it i realised u were talking on a higher level n not really of the 'aptly' titled (non)senical garden ;-)
nice blog :-)
A lot of water has flown under the bridge since Jan 15! Sorry... I have not been very active online. Good to have met you and your family. I am glad your son is doing so much better...
Emaan... Thank YOU for being such a da'hling! I like the way you look at me with your face half turned!
Did your mom get you the 5 star she promised me she would give you?
Enjoy and be good...
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